Padhai Me Man Kaise Lagaye in Hindi
Padhai Me Man Kaise Lagaye In Hindi ; आम तौर पर हमको ये सुनने को मिलता हैं कि,’’ आपको काम ही क्या हैं, सिर्फ पढ़ाई ही तो करनी हैं। कहीं जाके आपको इंटरव्यू नहीं देना, आपको नौकरी की चिन्ता नहीं करनी हैं, घर कैसे चलाना हैं ये आपको नहीं सोचना और घर का भविष्य क्या होगा, इसे आपको तय नहीं करना हैं आप को तो सिर्फ पढ़ने पर ध्यान देना हैं। इसके बाद आपको इतना अच्छा पढ़ने का मौका मिला हैं, आप की सारी जरुरते हम पूरी कर रहे हैं फिर भी आप पढ़ते नहीं हैं, हमें ऐसा मौका मिलता ना पढ़ने का तो आज बात ही कुछ और होती, आप खुशकिश्मत हो कि, आपको पढ़ने का मौका मिल रहा हैं, और आप हैं कि,पढ़ते नहीं हैं।’’, सच-सच बताना कि, हमें यही सुनने को मिलता हैं ना अपने माता-पिता से पढ़ाई के संबंध में।
वो जानते हैं कि, पढ़ाई कि, क्या कीमत हैं पर वो ये नहीं जानते हैं कि, पढ़ाई करना ही सबसे बड़ा काम हैं आज के समय में और आज के समय में जहां पर इतने सारे संसाधन मिलकर आपका ध्यान भटकाने की लगातार कोशिशे करते रहते हैं ऊपर से अपनी ही तेज़ रफ्तार में भागती-दौड़ती प्रतियोगिता वाली दुनिया में ये पढ़ना कितना कठिन हो गया हैं, अगर हमारे माता-पिता आज के समय में पढ़ते तो शायद हमारी मजबूरी और परेशानियों को समझ पाते, हैं ना?
सबसे पहले हम उन कुछ सामाजिक और घरेलू दबाव के प्रसिद्ध और चुनिन्दा बिन्दुओं पर नजर डालते हैं जिनसे हमारी पढ़ाई पर पड़ने वाले दबाव का चरित्र उजागर होता हैं, इस प्रकार हैं-
- सोशल मीडिया का लगातार बढ़ता अन्धाधुन्ध प्रयोग,
- माता-पिता द्धारा पर्याप्त समय ना दे पाना,
- उचित मार्गदर्शन का अभाव,
- घरेलू प्रोत्साहन की सख्त कमी,
- अच्छे परिणामों के लिए माता-पिता के साथ-साथ पड़ोसियों का अतिरिक्त दबाव,
- अतिरिक्त कोचिंग का दबाव।
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इसके बाद हम देखते हैं कि, हमारा खुद का पढ़ाई में मन नहीं लगता हैं और जब हम आत्मपरिक्षण करते हैं तो कि,
- हमार दैनिक जीवन और हमारी समय-सारिणी बेहद असंतुलित होती हैं,
- असंतुलित अध्ययन की वजह से पढ़ाई हमें बोझ लगने लगती हैं,
- मानसिक तनाव हमें पढाई से दूर ले जाती हैं,
- हमें खेलने का, दोस्तों से बात करने का और कुछ समय के लिए कहीं घूमने का भी समय नहीं मिलता,
- अपनी कमजोरियों को जानते हैं पर उनका समाधान कैसे करे पता नहीं होता और झिझक के मारे हम किसी से पूछ भी नहीं पाते,
- सोशल मीडिया हमारे ध्यान को भटकाने में कोई कसर नहीं छोड़ता हैं,
- घर के आस-पास का माहौल और घर के भीतर का माहौल सही नहीं हैं अर्थात् पढ़ाई का सही वातावरण नहीं मिलता हैं,
- माता-पिता द्धारा कक्षा में प्रथम आने के लिए दबाव डालते रहते हैं,
- अंत में हमें एक अच्छा दोस्त नहीं मिलता हैं जिससे हम खुलकर अपनी बात कहे सके आदी, ये केवल एक परत हैं और ऐसी अनेकों परते हैं जिनकी वजह से हमारा मन पढ़ाई में नहीं लगता हैं।
- पढ़ाई में मन लगे, इसके लिए हम क्या कर सकते हैं? यही प्रश्न अभी आपके मन में आया होगा और आप जानना चाहते होंगे कि, हम पढ़ाई में अपना मन कैसे लगाए?
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कुछ बिंदु जिनकी सहायता से, जिनका पालन करके और जिनको दैनिक जीवन में अपना हम पढ़ाई में मन लगा सकते हैं, इस प्रकार हैं-
- दैनिक लक्ष्य तय करके पढ़ाई करे,
- पढ़ाई के लिए एक संतुलित समय-सारिणी बनाएं,
- माता-पिता से लगातार अपनी पढ़ाई के संबंध में चर्चा करते रहे,
- संभव हो तो कभी-कभी दोस्तों के साथ समूह में चर्चा करे,
- पढ़ाई के लिए आप किसी बाग-बगीचे का चयन कर सकते हैं जहां आपकी एकाग्रता बढ़ेगी,
- पढ़ाई को लेकर अपनी विचारधारा में बदलाव करें और अपने भीतर से पढ़ाई या फेल होने का डर निकालने की कोशिश करें,
- पढ़ाई में अपनी एकाग्रता बढ़ाने के लिए आप सुबह-सुबह योगा कर सकते हैं,
- पढाई के समय में मन को भटकाने वाली चीजों से दूरी बना सकते हैं और इसे एक लक्ष्य के तौर पर अपना सकते हैं दोस्तों के साथ खेलने जा सकते हैं,
- कौन क्या कर रहा हैं, किसलिए कर रहा हैं और किसके लिए कर रहा हैं खुद को इन बातों से दूर रखने के कोशिश करें क्योंकि दूसरों कि गतिविधि हमारे भीतर जलन पैदा करती हैं और इसके परिणास्वरुप हमारा पढ़ाई में मन नहीं लगता हैं और अपनी तुलना किसी से भी बिलकुल ना करें, क्योंकि जो भी हैं जैसे भी हैं सर्वश्रेष्ठ हैं,
- पढ़ाई के संबंध में अपने अध्यापकों, माता-पिता और दोस्तो से खुलकर बात करें। अपनी कमजोरियों को स्वीकार करें और उन्हें दूर करने के लिए माता-पिता व अध्यापकगण से परामर्श लें और अन्त में सदैव सकारात्मक बने रहें क्योंकि,’’ मन के हारे हार हैं और मन के जीते जीत।’’
- दूसरे आप पर विश्वास कर रहे हैं इसलिए आप भी खुद पर विश्वास करें क्योंकि जीत आपकी ही हैं और आपकी ही इंतजार कर रही हैं।
- अंत में यही कह सकते हैं कि, पढ़ाई में मन ना लगना आज की एक आम समस्या हैं और अगर हम सही मार्गदर्शन ले तो इसका समाधान भी बेहद आम हैं।
निष्कर्ष–
निष्कर्ष के तौप यही कहा जा सकता हैं कि, आज को दौन वैश्विक दौर हैं और उसकी समस्याये भी वैश्विक है, प्रतियोगिता भी वैश्विक हैं और तनाव-दबाव भी वैश्विक हैं। इन तीनों चीजों का हमारी पढ़ाई से सीधा संबंध हैं। इसलिए यदि हमारा मन पढ़ाई में नहीं हैं तो हम उपर्युक्त बिंदुओं की मदद ले सकते हैं और यदि हम जानते ही नहीं कि, हमारा मन पढ़ाई में नहीं हैं तो उपर्युक्त बिंदुओं को एक लक्षण के तौर पर देख सकते हैं।
अंत में हम आपसे यही कहना चाहते हैं की आप जो भी काम करिये उसे पुरे मन से करिये ताकि भविष्य में आप अपने बीते हुए कल को याद करते हुए गर्व करें। और आप कामयाबी की ऊंचाइयों पर खड़े रहते हुए इस समय के बारे में सोच कर ज़रूर खुश होंगे।
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